खट्टी-मीठी ज़िंदगी कितने तरह के स्वाद देती मुस्कराहट की चाहत में उदास हो जाती दिल की बाते दिल जाने कहकर कभी खामोश हो जाती अपनी चाहत को अनदेखा कर दूसरों पर कुर्बान हो जाती बेस्वादी का अनुभव जब भी होता नमकीन की शौकीन हो जाती रास्ते पर पड़े पत्थरो से झुंझलाती पर हार नहीं स्वीकार कहकर कर्म के फूलों पर निसार हो जाती जिंदगी खट्टी मीठी जिंदगी