स्त्री स्वतंत्रता के नाम पर , चढ़ रही है सूली पर , छूट के नाम पर , बिक रही दुकानो पर, प्रगति की मिथ्या लिए , खड़ी है चौराहे पर , बराबरी को आतुर , भूल रही है अपना स्वभाव चंचल और चतुर , ऊँचाई को बदला अपना आचार व्यवहार फिर भी हो रही है और लाचार।। स्त्री अस्तित्व #स्त्री_सम्मान #स्त्रीअस्तित्व #ज़िन्दगीकीक़ीमत