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गोद में बैठा उस देवी रूपी छाव में, जो मूरत सी अभिल

गोद में बैठा उस देवी रूपी छाव में,
जो मूरत सी अभिलाषा की ओट की !
जिसमे मात्र प्रेम रूप दिखता सरस,
वात्सल्य सा रहता, उसके आँचल में हरदम !

जो कभी न जान पाए उस छाव रूप को,
आज ढूढ रहे क्षण-भर चैन चारों दिशा में !
मैं शांत सा उसी छाव की ओट में लिपटा,
जो अमृत सा, उस देवत्व रूपी आँचल का !!

अपनी गोद में वो संतोष से बैठाए,
सौभाग्य के उस ममता आँचल में !!
                                             मेहनत की कड़ी धूप में रहकर,
                                             शाम सवेरे अपने घर में आके !         
                                             मै सुकून सा पाता उस आंचल में, 
                                             जब अपने आंचल से वो धूप हटाती !!

                                            पर न जाने उसकी ममता को कुछ अक्सर,
                                           छोड़ से जाते भव बाजार में आकर !
                                           चंद पैसों से भी बढ़कर हैं वो आंचल,
                                           जिसकी छाव हैं रहती, हर पथक राह पर !!

                                                 ममता से भरे उस आंचल की छाव में,
                                                मैं अब भी बैठा, उस छाव के नीचे !!
  
                   Andaj_Chvi

©Nik Pant आँचल ......  लेख !!

#Love #Ma #niklekh 

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#poertyofinstagram
गोद में बैठा उस देवी रूपी छाव में,
जो मूरत सी अभिलाषा की ओट की !
जिसमे मात्र प्रेम रूप दिखता सरस,
वात्सल्य सा रहता, उसके आँचल में हरदम !

जो कभी न जान पाए उस छाव रूप को,
आज ढूढ रहे क्षण-भर चैन चारों दिशा में !
मैं शांत सा उसी छाव की ओट में लिपटा,
जो अमृत सा, उस देवत्व रूपी आँचल का !!

अपनी गोद में वो संतोष से बैठाए,
सौभाग्य के उस ममता आँचल में !!
                                             मेहनत की कड़ी धूप में रहकर,
                                             शाम सवेरे अपने घर में आके !         
                                             मै सुकून सा पाता उस आंचल में, 
                                             जब अपने आंचल से वो धूप हटाती !!

                                            पर न जाने उसकी ममता को कुछ अक्सर,
                                           छोड़ से जाते भव बाजार में आकर !
                                           चंद पैसों से भी बढ़कर हैं वो आंचल,
                                           जिसकी छाव हैं रहती, हर पथक राह पर !!

                                                 ममता से भरे उस आंचल की छाव में,
                                                मैं अब भी बैठा, उस छाव के नीचे !!
  
                   Andaj_Chvi

©Nik Pant आँचल ......  लेख !!

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nikpant9283

andaj chvi

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