चहरा खुशी से चमकने लगा है, दुःखो का घाव भी भरने लगा है। हर दर्द को भुलाया है हमने, दिल भी उमंग के रंग रंगने लगा है, पर मनK खुशी की चादर से डरा है, आज मेरा मन रोने को अड़ा है।। खुशिया फैली है चारो ओर, आज दुःखो की कमी सताती है। रोने की वजह ढूंढने लगे है, पर आँखे नम होने से कतराती है, जीवन मे आज दुःखो का अकाल पड़ा है, आज मेरा मन रोने को अड़ा है।। सोचा किसी से मोहब्बत करते है, उसकी जिंदगी में ख़ुशियों के रंग भरते है। पर वो अपने गम छुपाये बैठे है, चेहरे पर खुशी बिठाए बैठे है। मेरा मन उनके दुखो को अपनाने को खड़ा है, आज मेरा मन रोने को अड़ा है।। हर दुख आज भुलाया है हमने, आखो से आँसुओ को मिटाया है हमने। एक वक्त ये आँखे सूखे को तरसती थी, और आज सूखे का शमशान बनाया है हमने, खुशी का पोटला मेरी नज़रो में गड़ा है, आज मेरा मन रोने को अड़ा है।। सोचा किसी के दुख को अपना बनाते है उसके गमो में हम भी आँसू बहाते है। आँखे नम होने को तरसती है, आँसू बाहर आकर गायब हो जाते है। हँसने से दिल बखूबी डरा है, आज मेरा मन रोने को अड़ा है।।। माँ की लोरी को यादो में लाता हु, उनके बिना गुजरे पलों को अचानक भुलाता हु। रोने को दिल बार बार उकसाता है, कोशिश करता हु पर रोना नही आता है, हर गम को दिल दबाए बैठा है, आज मेरा मन रोने को अड़ा है।।। ASRahul आज मेरा मन रोने को अर अड़ा है।