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फ़ैसला (story read in caption👇) फ़ैसला सपना अपन

फ़ैसला


(story read in caption👇) फ़ैसला


सपना अपने कमरे में बिस्तर के एक तरफ कोने में बैठ कर रो रही थी और उसकी सात साल की बेटी ईशु जो अपनी माँ के जख्मों पर बड़े प्यार से दवा लगा रही थी। ये सपना के घर रोज़ होता था , उसका पति सौरव शराब पीकर आता सपना को मारता पीटता फिर जाकर सो जाता और ईशु हर बार अपने पिता के दिये जख्मों पर मरहम लगाती। सौरव पहले ऐसा नहीं था लेकिन शादी के बाद न जाने वो इतना कैसे बदल गया उसने शराब पीना शुरू कर दिया और फिर घर में मारपीट भी शुरू हो गयी। सपना ने आजतक घरवालों को ये खबर नहीं की। सौरव जैसा भी था उसका पति था । ये वही सौरव था जिसके लिए उसने घर में सबसे लड़ाई कर ली थी पापा का गुस्सा माँ की फटकार सबकुछ बर्दाश्त किया और अब तो ईशु भी थी। बिना पिता के क्या ज़िन्दगी होगी उसकी बस यही सब सोचकर सपना सहर उठती थी। सौरव उसपर जुल्मोसितम ढाता रहा और सपना हर जुल्म हर सितम चुपचाप सहती रही इस उम्मीद में की शायद इस बार सौरव को उसकी गलती का एहसास हो और सब ठीक हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

आज भी जब सौरव ने शराब पीकर सपना को मारा तो ईशु ने अपनी माँ के ज़ख्मों पर दवा लगाते हुए कुछ कहना चाहा पर कहा नहीं। 

सपना ने ईशु को सुलाया और ख़ुद भी सोफे पर सो गई सुबह उठी रोज़ की तरह सौरव के कपड़े बैग सब तैयार किया सौरव उठा और बैग लेकर चल गया।
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सपना अपने कमरे में बिस्तर के एक तरफ कोने में बैठ कर रो रही थी और उसकी सात साल की बेटी ईशु जो अपनी माँ के जख्मों पर बड़े प्यार से दवा लगा रही थी। ये सपना के घर रोज़ होता था , उसका पति सौरव शराब पीकर आता सपना को मारता पीटता फिर जाकर सो जाता और ईशु हर बार अपने पिता के दिये जख्मों पर मरहम लगाती। सौरव पहले ऐसा नहीं था लेकिन शादी के बाद न जाने वो इतना कैसे बदल गया उसने शराब पीना शुरू कर दिया और फिर घर में मारपीट भी शुरू हो गयी। सपना ने आजतक घरवालों को ये खबर नहीं की। सौरव जैसा भी था उसका पति था । ये वही सौरव था जिसके लिए उसने घर में सबसे लड़ाई कर ली थी पापा का गुस्सा माँ की फटकार सबकुछ बर्दाश्त किया और अब तो ईशु भी थी। बिना पिता के क्या ज़िन्दगी होगी उसकी बस यही सब सोचकर सपना सहर उठती थी। सौरव उसपर जुल्मोसितम ढाता रहा और सपना हर जुल्म हर सितम चुपचाप सहती रही इस उम्मीद में की शायद इस बार सौरव को उसकी गलती का एहसास हो और सब ठीक हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

आज भी जब सौरव ने शराब पीकर सपना को मारा तो ईशु ने अपनी माँ के ज़ख्मों पर दवा लगाते हुए कुछ कहना चाहा पर कहा नहीं। 

सपना ने ईशु को सुलाया और ख़ुद भी सोफे पर सो गई सुबह उठी रोज़ की तरह सौरव के कपड़े बैग सब तैयार किया सौरव उठा और बैग लेकर चल गया।
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