मित्रों, आज वैश्विक परिदृश्य में विश्व अत्यंत संकटकालीन परिस्थितियों से जूझ रहा है।मानो पूरी दुनिया स्थिर हो चुकी हो।मानवजीवन अशांत एवं भयभीत महसूस कर रहा है।चंद दिनो पूर्व जो मनुष्य स्वयं को धरा का संचालक एवं प्रकृति को अपनी ईच्छानुरुप ढ़ालने का दुस्साहस कर रहा था,आज प्रकृति के प्रकोप से असहाय महसूस कर रहा है।विशेषकर हमारे देश मे प्राचीनकाल से ही प्रकृतिपूजा एवं प्रकृति से मित्रवत व्यवहार करने की परंपरा रही है।परंतु पाश्चात्य संस्कृति के हावी होने एवं अंधानुकरण की वजह से पिछले कई दशकों से प्रकृति से हमारा तारतम्य विफल होते जा रहा है।प्रकृति के विरुद्ध कार्य करने की मानवीय प्रवृति मे इजाफा हुआ है,परिणामस्वरुप वैश्विक आपदा,महामारी या प्राकृतिक प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। मित्रों अभी भी वक्त है पृथ्वी को सुंदर,खुशहाल,व स्वस्थ रखने हेतु प्रत्येक नागरिक, नैतिकता, मानवता एवं विश्वहीत के लिए प्रतिबद्ध होकर प्रकृति के अनुकुल कार्य करें ताकि कोरोना वायरस जैसे वैश्विक महामारी का सामना भविष्य मे ना करना पड़े। आइए हम सब मिलकर जनहित एवं राष्ट्रहित के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करें। Shiv k Shriwas #जागरुकता ही बचाव है# coronavirus##