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मैं देर करता नहीं देर हो जाती है या हुजूर आते-आते

मैं देर करता नहीं देर हो जाती है या हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी या देर न हो जाये कहीं देर न हो जाये, जैसे गीत जिस अभिनेता को मिले हों उसने जाने में बिल्कुल देर नहीं की।।

नुसरत साहब पाकिस्तान में तो थोड़े मशहूर हो चुके थे लेकिन असली खेल बाकी था।। दादा साहब फाल्के के बाद अगर किसी ने भारतीय सिनेमा की अतुलनीय सेवा की है तो वह "कपूर खानदान" ही है।। राजकपूर का यह गुण था वे नई प्रतिभाओं को मौका देते थे। वे प्रतिभा के पुजारी थे। यह गुण पं नेहरू का था।। आज जो कुछ फ़िल्म इंड्रस्ट्री में दिख रहा है उसमें 75% योगदान कपूर खानदान का है।।
ऋषि कपूर की शादी(1980) में राजकपूर ने नुसरत फतेह अली को आमंत्रित किया। तब भारत ने पहली बार नुसरत को सुना। और ऐसा सुना कि आज तक उनका जादू नहीं उतरा। यह फोटोज ऋषि कपूर की शादी के हैं।। यहां नुसरत ने जो गीत गाया उसे राजकपूर ने अपनी "हिना" फ़िल्म में लिया।।

मैं हमेशा "खानदान" का समर्थक रहा हूँ। चाहे वह सिनेमा हो या राजनीति क्योंकि "पीढ़ियों से गुजर कर ही कोई श्रेष्ठ गुण पैदा होता है" इंदिरा जी और राजकपूर इसके सशक्त उदाहरण हैं... #kapoor and sons
मैं देर करता नहीं देर हो जाती है या हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी या देर न हो जाये कहीं देर न हो जाये, जैसे गीत जिस अभिनेता को मिले हों उसने जाने में बिल्कुल देर नहीं की।।

नुसरत साहब पाकिस्तान में तो थोड़े मशहूर हो चुके थे लेकिन असली खेल बाकी था।। दादा साहब फाल्के के बाद अगर किसी ने भारतीय सिनेमा की अतुलनीय सेवा की है तो वह "कपूर खानदान" ही है।। राजकपूर का यह गुण था वे नई प्रतिभाओं को मौका देते थे। वे प्रतिभा के पुजारी थे। यह गुण पं नेहरू का था।। आज जो कुछ फ़िल्म इंड्रस्ट्री में दिख रहा है उसमें 75% योगदान कपूर खानदान का है।।
ऋषि कपूर की शादी(1980) में राजकपूर ने नुसरत फतेह अली को आमंत्रित किया। तब भारत ने पहली बार नुसरत को सुना। और ऐसा सुना कि आज तक उनका जादू नहीं उतरा। यह फोटोज ऋषि कपूर की शादी के हैं।। यहां नुसरत ने जो गीत गाया उसे राजकपूर ने अपनी "हिना" फ़िल्म में लिया।।

मैं हमेशा "खानदान" का समर्थक रहा हूँ। चाहे वह सिनेमा हो या राजनीति क्योंकि "पीढ़ियों से गुजर कर ही कोई श्रेष्ठ गुण पैदा होता है" इंदिरा जी और राजकपूर इसके सशक्त उदाहरण हैं... #kapoor and sons