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वो शाम उलझी हुई थी ये रात बिखरी पड़ी है मैं सुबह को

वो शाम उलझी हुई थी
ये रात बिखरी पड़ी है
मैं सुबह को समेटूँगा कैसे
सूरज रूका पड़ा है

उलाहने देता वो समंदर
कभी ना रुकती वो नदी
बस मैं ही ठहरा हूँ
हिमालय का साथी बनके

iwillrocknow.com

©Nitish Tiwary #poem #hindikavita #iwillrocknow 

#fish
वो शाम उलझी हुई थी
ये रात बिखरी पड़ी है
मैं सुबह को समेटूँगा कैसे
सूरज रूका पड़ा है

उलाहने देता वो समंदर
कभी ना रुकती वो नदी
बस मैं ही ठहरा हूँ
हिमालय का साथी बनके

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©Nitish Tiwary #poem #hindikavita #iwillrocknow 

#fish
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Nitish Tiwary

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