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मेरी प्रियतमा काटकर जीगर मुस्कुराकती है उसका जु़ल

मेरी प्रियतमा

काटकर जीगर मुस्कुराकती है
उसका जु़ल्म बहुत जज़्बाती है

हुस्न का मुकम्मल शाहकार है
वो आखों से भी खिलखिलाती है

उसकी हर नाज़ो अदा में जादू है
तीखी नज़रों से जादू चलाती है

कौन है जो उसका शिकार नहीं
लब खोलते ही दो-चार गिराती है
 
"क़मर" लाखो हैं यां उसके सैदाई
यूं वह पलके झुकाकर उठाती है

©Qamar Abbas #mybeloved
मेरी प्रियतमा

काटकर जीगर मुस्कुराकती है
उसका जु़ल्म बहुत जज़्बाती है

हुस्न का मुकम्मल शाहकार है
वो आखों से भी खिलखिलाती है

उसकी हर नाज़ो अदा में जादू है
तीखी नज़रों से जादू चलाती है

कौन है जो उसका शिकार नहीं
लब खोलते ही दो-चार गिराती है
 
"क़मर" लाखो हैं यां उसके सैदाई
यूं वह पलके झुकाकर उठाती है

©Qamar Abbas #mybeloved
kaajukala1866

Qamar Abbas

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