मेरी प्रियतमा काटकर जीगर मुस्कुराकती है उसका जु़ल्म बहुत जज़्बाती है हुस्न का मुकम्मल शाहकार है वो आखों से भी खिलखिलाती है उसकी हर नाज़ो अदा में जादू है तीखी नज़रों से जादू चलाती है कौन है जो उसका शिकार नहीं लब खोलते ही दो-चार गिराती है "क़मर" लाखो हैं यां उसके सैदाई यूं वह पलके झुकाकर उठाती है ©Qamar Abbas #mybeloved