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खामोश ही रह गया। सब की दुत्कार सुनता रहा, और चुप च

खामोश ही रह गया।
सब की दुत्कार सुनता रहा,
और चुप चाप सह गया।
सुनाने को तो बहुत कुछ था,
बस अपनी तन्हाई से ही कह गया।
किसी का प्यार भरोसा मिलता तो अलग मंजर होता,
सोचता हूं अब तन्हा बैठ कर,
कि क्या था मैं कभी, आज क्या बन कर रह गया।

©Vasudha Uttam
  #Silence #Nojoto #shayraana