तेरे हिज़्र में रोता रहूँ या कुछ कदम बढ़ा लू मैं हर रोज दरिया डूबतीं क्या समुंद्र को डुबा लू मैं धुँए से अश्क़ शांत हैं और रूह आग सी जल रही तेरे इश्क़ में जलता रहूँ या किसी और से अब नाह लू मैं मैं एक बगीचा फूलों का जो काटों से भरा हुआ खुद को ही चुभता रहूँ या तितलियाँ बैठा लू मैं कलम पे तेरा नाम है और पन्ने हैं भरे हुएं तुझको ही लिखता रहूँ या कुछ कदम बढ़ा लू मैं -Devansh Rajpoot #Health #love #shyari #khubsuratalfaz #dangerousd #devanshrajpoot