काश ! होश में रहना न ही कभी सीखते, बेहोश हो कर के ही बस उम्र भर जीते, होशो हवास में रह कर के जो भी देखा, नशे में होते तो शायद मलाल ही न करते। (अनुर्शीषक में पढ़ें) काश ! होश में रहना न ही कभी सीखते, बेहोश हो कर के ही बस उम्र भर जीते, होशो हवास में रह कर के जो भी देखा, नशे में होते तो शायद मलाल ही न करते। इस अक्ल का क्या करें, सब कुछ समझे, मगर हल कोसों दूर होगा, न समझ सके, दिमाग के साथ दिल भी ऐसे ही दिया,