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तुम चुप क्यों हो , अबोध हो क्या , तुम्हारी खामोशी

तुम चुप क्यों हो , अबोध हो क्या ,
तुम्हारी खामोशी से लगता है 
कोई टूटा ख्वाब हो क्या ,,
तुम यूं सर झुकाए क्यू खड़ी हो ,
कोई हुई खता है क्या ,
तुम इन पंछियों की तरह खुले आसमान में 
उड़ती क्यों नही हो ,
बेड़ियों में बंधी हो क्या,,
हर रोज तो उतारती हो कर्ज सबका ,
कोई बिन बुलाए मेहमान हो क्या,
क्यों कोशती हो हर दिन खुद को ,
सबकी अकेली जिम्मेवार हो क्या,
यूं खामोश निगाहों से सपनों को
 टूटते हर दिन देखना ,
तुम कोई गुनहगार हो क्या ।
तुम चुप क्यों हो अबोध हो क्या ,
क्यों सभी के सवालों का जवाब तुम ही दो ,
तुम कोई जवाब की किताब हो क्या ,,
क्यों हर रंग में तुम्हे ढलना पढ़ता है,
तुम सफेद रंग की कोई मिशाल हो क्या ,
तुम चुप क्यों हो अबोध हो क्या ।।।।

©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #Naari#chup#kyu#ho#abodh#ho#kya#mynewpoetry#deeplines.

#Mic
तुम चुप क्यों हो , अबोध हो क्या ,
तुम्हारी खामोशी से लगता है 
कोई टूटा ख्वाब हो क्या ,,
तुम यूं सर झुकाए क्यू खड़ी हो ,
कोई हुई खता है क्या ,
तुम इन पंछियों की तरह खुले आसमान में 
उड़ती क्यों नही हो ,
बेड़ियों में बंधी हो क्या,,
हर रोज तो उतारती हो कर्ज सबका ,
कोई बिन बुलाए मेहमान हो क्या,
क्यों कोशती हो हर दिन खुद को ,
सबकी अकेली जिम्मेवार हो क्या,
यूं खामोश निगाहों से सपनों को
 टूटते हर दिन देखना ,
तुम कोई गुनहगार हो क्या ।
तुम चुप क्यों हो अबोध हो क्या ,
क्यों सभी के सवालों का जवाब तुम ही दो ,
तुम कोई जवाब की किताब हो क्या ,,
क्यों हर रंग में तुम्हे ढलना पढ़ता है,
तुम सफेद रंग की कोई मिशाल हो क्या ,
तुम चुप क्यों हो अबोध हो क्या ।।।।

©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #Naari#chup#kyu#ho#abodh#ho#kya#mynewpoetry#deeplines.

#Mic