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सच है कि उम्र के साथ निखरती है ग़ज़ल, किसी ग़म के पड़ा

सच है कि उम्र के साथ निखरती है ग़ज़ल,
किसी ग़म के पड़ाव सी बिखरती है ग़ज़ल।

गुलाब काटों के आशियाँ में यूँ सुकूं से रहता है,
स्याह किसी मंज़र पर रोशनी सी बिखरती है ग़ज़ल।
   © प्रिंसी मिश्रा #princimishraquotes #quotes #baagijazbaat #poetry #thoughts #words #emotions
सच है कि उम्र के साथ निखरती है ग़ज़ल,
किसी ग़म के पड़ाव सी बिखरती है ग़ज़ल।

गुलाब काटों के आशियाँ में यूँ सुकूं से रहता है,
स्याह किसी मंज़र पर रोशनी सी बिखरती है ग़ज़ल।
   © प्रिंसी मिश्रा #princimishraquotes #quotes #baagijazbaat #poetry #thoughts #words #emotions