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ऐ जिंदगी! थक गए तुझसे मांगते-मांगते, अब थोड़ी खुशि

ऐ जिंदगी! थक गए तुझसे मांगते-मांगते, अब थोड़ी खुशियां दे भी दे।
गमों के साथ जिंदगी बिताते- बिताते, हमारी सारी जिंदगी गुजर गयी।

चेहरे पर अब हमेशा, मुस्कुराहट का एक नकाब पहनकर रहने लगे हैं हम।
आ जा थोड़ी सी ही सही, कोई खुशी दे दे, दिल से मुस्कुराए जमाने गुजर गए।

जिंदगी में ना रंग है, ना नूर है, ना उम्मीद है और ना ही कोई आस है बची।
आ जा जाने वाले, तेरे इंतजार में न जाने, कितने सावन बरस के गुजर गए।
 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-110 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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आ जा थोड़ी सी ही सही, कोई खुशी दे दे, दिल से मुस्कुराए जमाने गुजर गए।

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