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मन की बहकावें में जब दिल आता है। मन की ही करता है

मन की बहकावें में जब दिल आता है। 
मन की ही करता है खुद को भूल जाता है।
नहीं टिकती सदा मन की मेहरबानियां।
भर्म टूटता है जब फिर समझ में आता है। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 178 में स्वागत करता है..🙏🙏

💫आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
मन की बहकावें में जब दिल आता है। 
मन की ही करता है खुद को भूल जाता है।
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