चुप रहूँ, मौन हो रहूँ यही तो चाहते हैं आप आँखे बंद किए बैठी हूँ जो इच्छा हो कीजिए नहीं! और कुछ नहीं बोलूँगी ये बन्द द्वार नहीं खोलूँगी यों ही एकाकी हो रहूँगी अनुराग मणि का प्रकाशाप्त न होने दूँगी भले अश्रुदल का सावन हृदय भिगाता रहे फिर भी ठंडी हवा का राग न घोलूँगी हे प्रिय! सच में और कुछ न बोलूँगी #crimsonlips