तुम कहो तो चांदनी रात में बिखरी चांदनी को रोक दूं बारिश के दिनों के धुंधले हो रहे इन्द्रधनुष को साफ कपड़े से पोंछ दूं भोर में चहचहा रहे पंछियों को मैं चोच दूं या फिर सुबह निकलती गरमागरम ताजी जलेबी परोस दूं एक बार कहो तो सही। दिलों की धड़कनों को अपनी, तुम्हारी खातिर रोक सकता हूं जुबां से निकली बुरी बातों का मुंह नोच सकता हूं गुड़ तुम्हें पसन्द नहीं तो क्या हुआ चीनी ही सही चाय को मैं न पसन्द करते हुए भी, तुम्हारे लिए परोस सकता हूं। हर आदतों को तुम्हारे लिए अपना लिया मैंने हर चाहतों को तुम्हारे लिया चाह लिया मैंने तुम हंसते रहो हमेशा इस खातिर अपने जीने के तरीक़े को बदल दिया मैंने। #रात #दिन #चांदनी #इन्द्रधनुष #जलेबी #पसंद #yqdidi #yqhindi YourQuote Didi Vaibhav Dev Singh