रंगों की रंगीनियत... बड़ी ही अजीब हैं....जबतक अलग है तबतक अपना रंग छोड़ते नहीं और जब एकदूसरे में घुलते हैं तो नया ही रंग होता हैं....बड़ा सरल और सटीक चरित्र हैं इन रंगों का । और ये कभी दाग के तौर पर भी नही गिने जाते इनको तो रंग केहते है....खुदमें बेरंग होकर भी सबको अपने रंग में रंग देते हैं ये रंग...अपनी रंगीनियत के साथ...अपनी अंजुमन के साथ। चंद पलो के मेहमान होते हैं...सुबह... लोगो के हाथों से... गालों तक... का सफर करते हुए...अंतमें सरल पानी के साथ बड़ी शांति से बेह जाते हैं। पर उनके जाने के बाद रह जाता है उसे दाग कहा जाता हैं...। उसको लोग मिटाते हैं...पर जल्दी से मिटता नही वो । अच्छा क्या हैं... रंग या दाग...?...क्यों...? रंगों की रँगीनियत