ऐ दोस्त अनजाने ,अभी हैं हम बेगाने, पर वक़्त का क्या भरोसा ! कब कहाँ और किस मुकाम पर हम रूबरू हो जाए I फिर दोस्ती होगी, बातें होंगी, अच्छा गुज़रा वक़्त तो एकाध मुलाकातें भी होंगी, फिर, शायद हम करीब होंगे, नहीं रहेंगे बेगाने, या! कुछ अरसा और गुज़रे और शायद हम एक दूजे को ही ना पहचाने, तक्कलुफ़ के लिए माफ़ी अभी से मांगता हूँ गलती गर हुई हो हमसे ,जाने-अनजाने I जिससे अब तक नहीं मिले... #जिससेनहींमिले #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi ऐ दोस्त अनजाने ,अभी हैं हम बेगाने, पर वक़्त का क्या भरोसा ! कब कहाँ और किस मुकाम पर हम रूबरू हो जाए I