हमारे बीच रिश्ता नहीं खून का पर राब्ता है दिल से दिल का वो है माँसी की नन्ही गुड़िया मेरी तो वो मस्ती की पुड़िया माँ-बाप से ज्यादा रहे मेरे पास मुझे दिलाती मातृत्व का एहसास उसका नखरे करके खाना-पीना मुझे देखते ही रोना भूल जाना मेरी बाहों में सदा कांधे पर सोती होंठ मेरे गालों पर रख मुझे चुमती उसके आगे भूल जाऊ सारा जहाँ वो है जैसे मेरी बेटी और मैं माँ #kkकाव्यमिलन #काव्यमिलन_5 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़काव्यमिलन