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किस घरी घर बुलाले पता है किसी को। क्या रब ने अबतक

किस घरी घर बुलाले पता है किसी को।
क्या रब ने अबतक रखा है किसी को।।

किस मिल्कियत पे नाज़ है न जाने इस जहां को।
हर दिल खफा है किसी से गीला है किसी को।।

Kis Ghari Ghar bula le pata hai kisi ko
kya rab ne abtak rakha hai kisi ko

kis milkiyat pe naj hai n jane is jahan ko
Har dil khafa hai kisi se gila hai kisi ko Adnan Rabbani's Shayari • किस #घरी घर बुलाले पता है किसी को।

क्या #रब ने #अबतक #रखा है किसी को।।


किस #मिल्कियत पे नाज़ है न जाने इस #जहां को।

हर #दिल खफा है किसी से ₹गीला है किसी को।।
किस घरी घर बुलाले पता है किसी को।
क्या रब ने अबतक रखा है किसी को।।

किस मिल्कियत पे नाज़ है न जाने इस जहां को।
हर दिल खफा है किसी से गीला है किसी को।।

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