आना ही है जिसने उसको क्यों है तुम्हें बुलाना उसको जी लो जिसने इक दिन तुमसे है छिन जाना माना दुख हैं बहुत मगर वो सबके हिस्से आये क्यों डरते हो जीवन से, दुख सदा को कब रह पाए नहीं अकेले तुम ही जग में, साथी भी है अकेला सोचो उसकी पीड़ा जिसने दर्द गर्भ में झेला क्या हक़ है उसे लेने का जिसे किसी को ना दे पाये क्या इक दुख ने भुला दिए सुख जो इस तन से पाये? नहीं सहा जाता गर गम इक और का सुन कर देखो अपने से कमतर के सपनों को भी बुन कर देखो कोई भी ग़म इतना हावी क्यों खुद पर करते हो जिसके नीचे मौत से पहले ही दब कर मरते हो आये हो जीवन में तो हर रंग में रंग कर देखो टूटने ही हैं जो आखिर बंधन में बंध कर देखो #अंजलिउवाच #YQdidi #जीवन #मौत #साथी #खुशी #सुशांत