Nojoto: Largest Storytelling Platform

# हिंदी साहित्य# _____&&&&&& शायद युग का है प्रभा

# हिंदी साहित्य#
_____&&&&&&
शायद युग का  है प्रभाव मानव के तुच्छ विचार हुए। 
अंतर्मन  सद विचार हीन काया से वस्त्र उतार दिये।। 
शायद युग का ही है प्रभाव...... 
लाज का भाव प्रभाव हीन स्वाभिमान अहं की भेंट चढ़ा। 
नेत्र हुए लज्जा विहीन हृदय भीतर अभिमान बढ़ा।। 
तन वस्त्र हीन, मन दुर्भाबी व्यक्तित्व का कोई भान नहीं। 
धन के लालच और लोभ में तो अस्तित्व का भी संज्ञान नही।। 
संस्कार हुए दूषित इतने संबंधों पर भी वार किये। 
शायद युग ही है प्रभाव...... 
संबंध और संबोधन भी संस्कृति विमुख मन नंगा है। 
पावन और पवित्र नहीं ये तो पश्चिम की गंगा है।। 
जन्म दिवस बर्थडे  हुआ अब और मैरिज होता। 
लाइक फॉलोअर चाह बड़ी दूरभाष यंत्र से प्यार हुआ। 
संतान पिता माता क्या अब भाई बहिन भी यार हुए। 
शायद युग का ही है प्रभाव. . . . . . . 
प्यार में पावनता कैसी गंगा जल से भी प्यार नहीं। 
हर ओर वासना घूम रही मद रहित कोई व्यवहार नहीं।। 
पश्चिम अनुसरण कर रहे हैं जो पश्चिम से सीखें कुछ। 
वो वेद पुराण पढ़ रहे हैं संस्कारों में व्यभिचार नहीं।।     
हमको पश्चिम से प्यार हुआ वह भारत पर दिल हार दिये। 
शायद युग का ही है प्रभाव. . . . . . . . 
यह देवभूमि पूजित वंदित जहां मंदिर और शिवालय हैं। हमको उनमें कुछ श्रेष्ठ नहीं हमको तो श्रेष्ठ मदिरालय हैं।।
धर्म-कर्म मर्यादाएं यहा पग पग पर मिल जाती थीं। 
त्योहारों और उत्सवों में हर बस्ती दीप जलातीथी।। 
वो दीप प्रज्ज्वलित करते हैं अंधियारे तार दिये।। 
शायद युग का ही है प्रभाव मानव ने तुच्छ विचार दिए। 
अंतर्मन सद विचार हीन काया से वस्त्र उतार दिए।।
शायद युग का ही है प्रभाव।। 
                 ।।आशुतोष अमन। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏  ।।वंदे मातरम।।सुप्रभात।।

©Aashutosh Aman.
  युग का प्रभाव

युग का प्रभाव #कविता

137 Views