उनकी उलफ़तों पर मैं फ़िदा जाऊँ , मेरे आक़ा इनायत हो गुलाम आया है اا पढा़ क़लमा नहीं मैने तेरे दस्त-ए-मुबारक पर , सुरूर-ए-इश्क़ तेरा फ़िर भी जिस्म-ओ-जाँ पे छाया है اا मुसाफ़िर थक गया है जो तेरी राहों पे चल-चल के, ख़ुदाया उस परेशां को तेरी रहमत का साया है اا तेरी क़ुर्बानियों पर मैं सदा क़ुर्बान रहता हूँ , हर इक क़तरे में खूँ के तू ही तू समाया है اا #yqallah #yqdidi #yqmohammad #yqbhaijan#yqurdu #yqurduhindipoetry #yqtales#yqaestheticthoughts