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एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... बचपन के वो दिन,मुस्

एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... बचपन के वो दिन,मुस्कुराती वो कली,
अब बिसरे है, सब क्यूंकि वो परी अब नही इस आँगन,
वो चली गयी किसी ओर की गली,बस सुनी पड़ी है ये गली वो परी#neelima#हिंदी लेखक#कविता#
एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... बचपन के वो दिन,मुस्कुराती वो कली,
अब बिसरे है, सब क्यूंकि वो परी अब नही इस आँगन,
वो चली गयी किसी ओर की गली,बस सुनी पड़ी है ये गली वो परी#neelima#हिंदी लेखक#कविता#