"हुस्न की तीर-ए-नज़र ने, जिस्म को हमारे ,इस कदर घायल किया कराहें नहीं पल भर भी, मोहब्बतें पैगाम उन्हीं के नाम लिख दिया।" "पढ़कर पैगाम हमारा, वो सजने संवरने लगे किसी ना किसी बहाने से,,वो पास हमारे आने लगे अदाओं से अपनी, अनुराग छलकाने लगे वो हमसे,हम उनसे मोहब्बत करने लगे।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #thought हुस्न की तीर ए नज़र इ