वो सावन की बूंदे वो सर्दी की रातें वो जुल्फों की छांव लगे याद आने वो संकरी सी गलियाँ वो दर्जन चौराहे गतिरोध, सिग्नल लगे याद आने वो गर्मी के दिन वो पांव के छाले वो दरखत की छाया लगे याद आने वो बचपन जवानी मजनू दिवाने पीरी में सब लगे याद आने आदिल रहा गुरबत जिंदगी कमाने अब अहले वतन लगे याद आने! ©Adil Ali Khan #gurabat