मैं ऐसे काग़ज़ी ही ठीक हूँ, मैं एक अजनबी ही ठीक हूँ, ज़िंदगी में तेरी दरअस्ल मैं ख़याली-किताबी ही ठीक हूँ। ज़रूरी भी नहीं कि तुम्हारी हर नज़्म में हो एहसास मेरा, तेरे हर जज़्बात में, बात-बेबात में, मैं ख़्वाबी ही ठीक हूँ। ना किसी रस्म-रिवाज की कर फ़िक्र, ना डरना किसी से, मिलने की बढ़ती ख़्वाहिशों में भी मैं सराबी ही ठीक हूँ। इश्क़ के मर्ज़ में क़दम-दर-क़दम मिला है दर्द ही हमेशा, ना हबीब,ना तबीब आते हैं काम, मैं ख़राबी ही ठीक हूँ। ज़मीं की थी ज़रूरत, सौगात में आसमाँ मिला है 'धुन', दिल इतना भी नहीं ख़ुदगर्ज़, तो मैं नक़ाबी ही ठीक हूँ। सराबी- Mirage like Rest Zone आज का शब्द- 'नज़्म' #rzmph #rzmph139 #नज़्म #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzhindi #yqdidi