मिरे तिमिर का क्या नूर हुस्न तिरी काया की खुश्बू जाना जैसे इत्र में ज़ेर-ए-आब हो, कहने दो होठों को दिल की तिरे ज़ुबाँ मिरे जुबां पर आया सार क्या कहूँ तेज़ शराब हो| #nojotorohtak