मुझे इश्क़ है तुझसे, तुझे इश्क़ नहीं तू ही बता इश्क़ निभाऊँ कैसे तेरे लबों पे ख़ामोशी, मेरे लबों पे बंदिश तू ही बता ये इश्क़ बताऊँ कैसे मुझे इश्क़ है तुझसे ... तू कहती है भुला दो, मेरी सारी बातें ख़यालों में गुज़री वो लम्बी रातें समेटे हूँ अश्क़ो में, तेरी मोहब्बत तू ही बता ये अश्क़ बहाऊँ कैसे मुझे इश्क़ है तुझसे ... मैं रह गया तन्हा, तेरी तन्हाइयो में ग़र्क़ हो गया, दर्द की गहराइयों में न मोहब्बत हुई मुकम्मल, न मौत ही आयी अब तू ही बता, ये ज़िन्दगी बिताऊँ कैसे मुझे इश्क़ है तुझसे, तुझे इश्क़ नहीं तू ही बता इश्क़ निभाऊँ कैसे ? शिवांश मिश्रा ANMOL BHASKAR