पलकों को अब झपकने कि अब आदत नहीं रही गालिब! जाने क्या हुआ तुझे इश्क- ऐ -दीदार करने के बाद!! डायरी से अच्छा दोस्त कौन हो सकता है। जो हमारे दिल की बात सुनती है वो भी बिना कुछ चाहे। रोज़ एक पन्ना डायरी का लिखना न केवल हमें भावनात्मक रूप से मदद पहुँचाता है बल्कि हमारे लेखकीय गुणों को भी विकसित करता है। योरकोट आप की डिजिटल डायरी है। लिखिये अपनी डायरी रोज़ाना। #मेरीडायरी #yqdidi