मैं - सर्द रातें है और तेरा साथ फिर भी क्यूँ हूँ मैं अकेला, क्या वो भी वहाँ तन्हा होगी या फिर होगा वहाँ मेला। रज़ाई - कल रात थी मैं वहाँ और उसे चुपके मेरे अंदर रोते देखा था, बहते आँसुओं मैं, उसे अपनी सुध - बुध खोते देखा था। मैं - आज मिलो तो उसे कहना कि बस कुछ दिन की है जुदाई, फिर होंगे हम दोनों, ये सर्द रातें, और कोई ना देगा दिखाई। रज़ाई - है दुआ मेरी कि तुम्हें अब ये जुदाई ना सताए, ना उसे रुलाए, साथ में बीते दिन, हफ्ते, महीने, साल एक दूजे को गले लगाए। ये एक कल्पना नहीं पर वास्तविकता भी नहीं. जो भाव से जुड़े सूचित करे #Kumaarsthought #kumaarsher #Kumaarnazm #रज़ाई