ख्वाबों में मेरे तुम यकसर ही आती हो बाहों में भरकर, मुझे बहोत सताती हो ये जानता हूँ मैं, कि तुम मेरी ही हो सनम दुनिया की भीड़ में भी मुझे ढूँढ लाती हो जुदाई एक पल की भी ये सही नहीं जाती तन्हाइयों में मेरी तुम आके शोर मचाती हो तेरी ये नज़र झुके तो क्या समझूँ मैं बता इशारों-इशारों में मुझे तुम क्या बताती हो ज़िन्दगी का 'सफ़र' सुहाना है ये संग तेरे होता हूँ जब मैं दूर मुझे तुम पास बुलाती हो यकसर- अकेले में ♥️ Challenge-617 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।