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वक़्त को,देखा है हमने,बदलते हुए रातों को पिघलकर,सहर

वक़्त को,देखा है हमने,बदलते हुए
रातों को पिघलकर,सहर में ढलते हुए
मगर,जो करीब था,था अनजान वही
गम दफ़न ही था,जनाजा निकलते हुए

©paras Dlonelystar
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