पहुँचाए मंज़िल तक, वो राह ढूँढता हूँ। पहुंच जाए दिल तक, वो चाह ढूँढता हूँ। बस जाए दिल की, अपनी उजाड़ बस्ती, करे कोई अपनी भी, परवाह, ढूँढता हूँ। लोग दिल देकर, पल मे बदल जाते हैं, तभी तो मै जामिन, गवाह ढूँढता हूँ। नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳