इंसानों के पास घर है मगर हर घर में इंसानियत कहाँ सबके पास दिल है मगर कोमल भावनाएं कहाँ इंसान और घर पूरक है किंतु एकदूसरे के आधीन ही है घरों में रहनेवाले को बेघर का क्या अंदाज इंसान और घर आज खुद बेघर है इस इंसानियत के घर से.... नमस्कार लेखकों! ✨ अप्रैल का महीना कविता लेखन के लिए मशहूर है इसलिए इस महीने में हम आपको रोज़ एक विषय देंगे जिस पर आपको अपनी काव्य की संरचना करनी है। हमारा आज का #rznapowrimoh28 के साथ collab करें और अपने शब्दों द्वारा कविता अभिव्यक्ति कर मौका पाएं रेस्ट ज़ोन से एक ख़ास टेस्टीमोनियल पाने का! ❤️ समय सीमा : 29 अप्रैल, सुबह 9:30 बजे तक।