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बिजली वाले ब्याज का, ख़ंजर लटकाए बैठे हैं। टोल वसूल

बिजली वाले ब्याज का, ख़ंजर लटकाए बैठे हैं।
टोल वसूली करने को, खप्पर खटकाये बैठे हैं।
रोज कमाकर खाने वाले,आश्रित हुए तिमाही से!
पकी फ़सल पर ईश्वर भी,ओले बरसाये बैठे हैं। सरकारें जनता की सेवा करने को कितनी तत्पर और समर्पित हैं,
इसका उदाहरण लॉकडाउन के हटते ही समझ में आ जाएगा।
सरकारें यह तो कह चुकी हैं कि इतने लोगों को मुफ्त खाना खिलाना संभव नहीं है।
जबकि मद में हजारों-करोड़ों रुपए स्वीकृत किए गए हैं। सरकारों की एक दुमुंही चाल भी स्पष्ट दिखाई देती है।
नेता जनहित के नाम पर कुछ कहते हैं, तरह-तरह की राहतों की घोषणा करते हैं।
अधिकारी गलियां निकालकर आहत करने पर अड़े रहते हैं।
:
#1_मई_तक_लॉकडाउन_के_साथ_राजस्थान_सतर्क_है और 3 तक पूरा देश... आप भी रहें।
बिजली वाले ब्याज का, ख़ंजर लटकाए बैठे हैं।
टोल वसूली करने को, खप्पर खटकाये बैठे हैं।
रोज कमाकर खाने वाले,आश्रित हुए तिमाही से!
पकी फ़सल पर ईश्वर भी,ओले बरसाये बैठे हैं। सरकारें जनता की सेवा करने को कितनी तत्पर और समर्पित हैं,
इसका उदाहरण लॉकडाउन के हटते ही समझ में आ जाएगा।
सरकारें यह तो कह चुकी हैं कि इतने लोगों को मुफ्त खाना खिलाना संभव नहीं है।
जबकि मद में हजारों-करोड़ों रुपए स्वीकृत किए गए हैं। सरकारों की एक दुमुंही चाल भी स्पष्ट दिखाई देती है।
नेता जनहित के नाम पर कुछ कहते हैं, तरह-तरह की राहतों की घोषणा करते हैं।
अधिकारी गलियां निकालकर आहत करने पर अड़े रहते हैं।
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#1_मई_तक_लॉकडाउन_के_साथ_राजस्थान_सतर्क_है और 3 तक पूरा देश... आप भी रहें।