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कितने हादसों का कसूरवार है तू लाखों ज़ख़्मों का हथ

कितने हादसों का कसूरवार है तू
लाखों ज़ख़्मों का हथियार है तू

जिसे सुनकर रूह तक कांप उठे
ऐसा अत्यंत भयंकर इश्तिहार है तू

जो भी घट रहा तेरे साथ इन दिनों
अपने इन हालातों का शिल्पकार है तू

दूसरों की तबाही की खबरें छापना चाह रहा
इक ऐसा काबिल-ए-नफरत पत्रकार है तू

स्थति सुधारने के लिए कहीं और न देख
अपनी ही गिरफ्त में गिरफ्तार है तू

आज़ाद कर खुदको अपनी हिरासत से 'भारत'
खुद को जो दे पाए वो अज़ीज़ पुरस्कार है तू #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #HaiTu
कितने हादसों का कसूरवार है तू
लाखों ज़ख़्मों का हथियार है तू

जिसे सुनकर रूह तक कांप उठे
ऐसा अत्यंत भयंकर इश्तिहार है तू

जो भी घट रहा तेरे साथ इन दिनों
अपने इन हालातों का शिल्पकार है तू

दूसरों की तबाही की खबरें छापना चाह रहा
इक ऐसा काबिल-ए-नफरत पत्रकार है तू

स्थति सुधारने के लिए कहीं और न देख
अपनी ही गिरफ्त में गिरफ्तार है तू

आज़ाद कर खुदको अपनी हिरासत से 'भारत'
खुद को जो दे पाए वो अज़ीज़ पुरस्कार है तू #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #HaiTu