दिलकश हूँ, दिलनशी हूं दिलरुबा हूँ ये होठ खामोश है जब तक महबूबा हूँ इन सुर्ख होठों को देखकर मचलते हैं अरमां मनचलों के तमाशबीनों के कयामत आयेगी जिस रोज ये बोलेंगे खैर मनाओं कि ये होंठ खामोश ही रहें 🎀 Challenge-419 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 कोरा काग़ज़ समूह की पोस्ट नोटिफ़िकेशन्स ज़रूर 🔔 ON रखिए। जिससे आपको कोरा काग़ज़ पर होने वाली प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती रहे। 🎀 कोरा काग़ज़ पर प्रतिदिन दोपहर 3 बजे "मस्ती की पाठशाला" होती है और शाम 5 बजे "उर्दू की पाठशाला" होती है। आना न भूलना।