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" चांद सा लगता था जो चेहरा कभी बिन प्रीत के लगता

" चांद सा लगता था जो चेहरा कभी
 बिन प्रीत के लगता है 
जैसे चमन का फूल मुरझाया है 
ए साकी  उल्फ़त में तेरी 
हमको भी न रात का पता है,न दिन का पता है 
ख्वाबों खयालों में जो तुझे बसाया है
तुम भी बेचैन हो,हम भी बेचैन है 
कब तक रहेगी बेरुखी तेरी,हमको बतलाओ जरा 
क्या खता हुई हमसे, हमको बतलाओ जरा 
दिल दिया था तुझे, दिलदार समझकर 
प्यार किया था तुझे, गुलज़ार समझकर
 फिर क्यों यह दूरियां, फिर क्यों यह खामोशियां 
तुम भी बेचैन, हो हम भी बेचैन हैं।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat
  #तुम भी बेचैन हो,हम भी बेचैन है #पार्ट 2

#तुम भी बेचैन हो,हम भी बेचैन है #पार्ट 2 #शायरी

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