सब माया है सब ढलती फिरती छाया है इस इश्क़ में हमने जो खोया, जो पाया है जो तुमने कहा,फ़ैज़ ने जो फरमाया है सब माया है हां गाहे गाहे दीद की दौलत हाथ आई या इक वो लज्जत नाम है जिसका रुसवाई हां इसके सिवा जो भी हमने कमाया है सब माया है जब देख लिया हर शख्स यहां हरजाई है इस शहर से दूर एक कुटिया हमने बनाई है और उस कुटिया के माथे पर लिखवाया है सब माया है #इब्ने इंशा,#poetry