ज़मीं से कभी ना तू बैर रखना, मिट्टी को कभी ना दाग समझना । मिट्टी से ही है इंसान, बिन इसके क्या खाएगा । उड़ कर जब तक जाएगा, बिन ज़मीं आराम कहाँ पाएगा । आत्मा त्याग कर देह कहा जाएगा, मिट्टी से निकला इसी में मिल जाएगा । #ज़मीं से कभी ना तू बैर रखना, मिट्टी को कभी ना दाग समझना । मिट्टी से ही है इंसान, बिन इसके क्या खाएगा । उड़ कर जब तक जाएगा, बिन ज़मीं आराम कहाँ पाएगा ।