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ज़मीं से कभी ना तू बैर रखना, मिट्टी को कभी ना दाग स

ज़मीं से कभी ना तू बैर रखना,
मिट्टी को कभी ना दाग समझना ।

मिट्टी से ही है इंसान, 
बिन इसके क्या खाएगा ।

उड़ कर जब तक जाएगा,
बिन ज़मीं आराम कहाँ पाएगा ।

आत्मा त्याग कर देह कहा जाएगा,
मिट्टी से निकला इसी में मिल जाएगा । #ज़मीं से कभी ना तू बैर रखना,
मिट्टी को कभी ना दाग समझना ।

मिट्टी से ही है इंसान, 
बिन इसके क्या खाएगा ।

उड़ कर जब तक जाएगा,
बिन ज़मीं आराम कहाँ पाएगा ।
ज़मीं से कभी ना तू बैर रखना,
मिट्टी को कभी ना दाग समझना ।

मिट्टी से ही है इंसान, 
बिन इसके क्या खाएगा ।

उड़ कर जब तक जाएगा,
बिन ज़मीं आराम कहाँ पाएगा ।

आत्मा त्याग कर देह कहा जाएगा,
मिट्टी से निकला इसी में मिल जाएगा । #ज़मीं से कभी ना तू बैर रखना,
मिट्टी को कभी ना दाग समझना ।

मिट्टी से ही है इंसान, 
बिन इसके क्या खाएगा ।

उड़ कर जब तक जाएगा,
बिन ज़मीं आराम कहाँ पाएगा ।
sumitpandey1802

Sumit Pandey

New Creator