टूटा फूटा ख़्वाबों का महल था, सपनों की बंजर ज़मीन पर हवा का एक झौंका ही काफ़ी था, उसे बिखरने के लिए कभी कभार ऐसा होता है कि इंसान मायूस हो जाता है अपनी ही ज़िंदगी से। कारण तो ख़ैर अनेक है। हताश होकर भी वो उम्मीद की खोखली टोकरी लिए,थके हारे अपना जीवन जीने की एक छोटी सी कोशिश ज़रूर करता है। पर, इस जीवन काल में, मेरा मानना है कि सिर्फ़ और सिर्फ़ मेहनत से सब हासिल नहीं होता। कहीं न कहीं ये नसीब का भी खेल है। और फिर इन कठिन परिस्थितियों में जब नसीब भी चांटा मार दे तो उम्मीद की वो टोकरी भी हाँथों से फिसल कर रेत बन जाती है।पछतावा होने लगता है उसे अपने ही अस्तित्व पर। #ख्वाब़ #बिखरना #yqbaba #yqdidi