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फिर से बेचैनियों का आलम छाने लगा है तन्हाई में फ

फिर से बेचैनियों का आलम छाने लगा है  
तन्हाई में फिर से कोई याद आने लगा है.. 
सोचा था दूरी बनाएंगे अब इश्क़ से
फिर क्यों ये दिल हमें ही समझाने लगा है।

सुकून में रहना इस दिल को शायद रास नहीं आया, 
क्यों है किसी रहनुमा की जरूरत अब तक दिल समझ न पाया 
क्यू किस्मत अपनी भूलकर किसी के इश्क़ की ईमानदारी का जिम्मा उठाने लगा है 
क्यों ये दिल हमें ही समझाने लगा है।

खो देते है आशिक़ अक्सर नींद चैन आराम,
 जमाने की नजरो में फिर हो जाते है बदनाम।
किसी की बेरुखी तो किसी की बेवफ़ाई से होता है यही अंजाम,
की फिर कोई शायरा लिखती है शायरी होके गुमनाम।

 क्यू एक बार फिर किसी को आजमाने लगा है, क्यू ये दिल हमें ही समझाने लगा है 
फिर से बेचैनियों का आलम छाने लगा है, तन्हाई में फिर से कोई याद आने लगा है। #poetry #new_here need support
फिर से बेचैनियों का आलम छाने लगा है  
तन्हाई में फिर से कोई याद आने लगा है.. 
सोचा था दूरी बनाएंगे अब इश्क़ से
फिर क्यों ये दिल हमें ही समझाने लगा है।

सुकून में रहना इस दिल को शायद रास नहीं आया, 
क्यों है किसी रहनुमा की जरूरत अब तक दिल समझ न पाया 
क्यू किस्मत अपनी भूलकर किसी के इश्क़ की ईमानदारी का जिम्मा उठाने लगा है 
क्यों ये दिल हमें ही समझाने लगा है।

खो देते है आशिक़ अक्सर नींद चैन आराम,
 जमाने की नजरो में फिर हो जाते है बदनाम।
किसी की बेरुखी तो किसी की बेवफ़ाई से होता है यही अंजाम,
की फिर कोई शायरा लिखती है शायरी होके गुमनाम।

 क्यू एक बार फिर किसी को आजमाने लगा है, क्यू ये दिल हमें ही समझाने लगा है 
फिर से बेचैनियों का आलम छाने लगा है, तन्हाई में फिर से कोई याद आने लगा है। #poetry #new_here need support