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चतुर्थ रचना :- स्त्री (त्रिभुजाकार कविता) मैं.

चतुर्थ रचना :- स्त्री (त्रिभुजाकार कविता) 



मैं.. 
हूँ स्त्री, 
जीवन विस्तृत
पर, कैद हूँ रीति-नीति की 
कैद में, जीवन मेरा पर हुकुम 
चलता है किसी और का इस जीवन पर, 
मैं मात्र साधन, पुरुष के जीवन कर्म मेें उसका 
साथ देना ही जीवन तय किया है इस समाज ने मेरा, 
कठपुतली बनकर रह गई हूँ मैं, समाज की यही रस्में और 
क़समें लील गई, हँसता खेलता बचपन, जवानी और सर्वस्व मेरा
जो दिया विधाता नेे मुझे मेरा सृजन करते हुए, तिरस्कृत उपहास की पात्र
हवस भरी सबकी नज़रे, जो इंतज़ार में है बस "जिस्म" को नोचने को मेरे..!!  #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन
 #kkजन्मदिन_4  #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkhbd2022 #अल्फाज_ए_कृष्णा
चतुर्थ रचना :- स्त्री (त्रिभुजाकार कविता) 



मैं.. 
हूँ स्त्री, 
जीवन विस्तृत
पर, कैद हूँ रीति-नीति की 
कैद में, जीवन मेरा पर हुकुम 
चलता है किसी और का इस जीवन पर, 
मैं मात्र साधन, पुरुष के जीवन कर्म मेें उसका 
साथ देना ही जीवन तय किया है इस समाज ने मेरा, 
कठपुतली बनकर रह गई हूँ मैं, समाज की यही रस्में और 
क़समें लील गई, हँसता खेलता बचपन, जवानी और सर्वस्व मेरा
जो दिया विधाता नेे मुझे मेरा सृजन करते हुए, तिरस्कृत उपहास की पात्र
हवस भरी सबकी नज़रे, जो इंतज़ार में है बस "जिस्म" को नोचने को मेरे..!!  #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन
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Krish Vj

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