इस शहर से दूर कहीं ठिकाना है मिरा, तुझसे न अब कोई नाता है मिरा, बीच मझधार छोड़ गया था मुझको, अरे तुझसा न कोई दुश्मन है मिरा, माना तेरी रातें आज रोशन हैं, तो घमंड न कर, कल की सुबह का उजाला है मिरा।। #उजाला#घमंड#मझधार#नाता#ठिकाना#शहर#yqbaba#yqdidi