हिय में मेरे है कसक प्रियतम तुम मुझको हिय से लगा लेते कुछ और नहीं आशा हमको बस दरस तुम अपना दिखा देते मिलन हमारा यदी होता तो हम समय चक्र ठहरा देते संवाद भले नहीं होता पर नयनों से नयन बतिया लेते स्पर्श तुम्हारा ना होता इसका मुझको कोई खेद न था तेरी पांव की मिट्टी को हम हृदय से अपने लगा लेते