मैने भी कह दिया गुनेहगार मुझें । अब मैं अपनी क्या सफ़ाई दूँ ।। हाँ हकीम मैं तजुर्बेकार हूँ मगर। एक मुर्दे को क्या दवाई दूँ ।। ताबूतों को तोड़ खड़ा होता है ये। इस कब्र को और कितनी गहराई दूँ ।। जल रहा है ये और कांपता भी है। अब इसे मैँ कम्बल दूँ कि रजाई दूँ ।। #मौहम्मद अनीश #Life Dr.sonam writer👩⚕️✍️ Ritika Singh