बातो में यारी और सबसे प्यारी ,बो हमारी दादी है बो हमारी दादी नहीं , हमारी दादी मां है" अब तो मोहल्ले में ही नहीं , जहां जाती हूं बहा उनकी चर्चा होती है, लोग पता है क्या बोलते है, हमें ये तो त्रिवेणी बाई की पोती है, मेरे चहरे मै खुसी से एक मुस्कान आ जाती है , जब सब ये कहते है तेरी दादी भजन बहुत अच्छा गाती है, पर मै बोल देती हूं, उन्हें की मुझे कुछ नहीं आता, बही एक सिंगल पीस है दुनिया मै , उन जैसा कोई नहीं बन पाता , बात करनी की आदत उनकी बहुत पुरानी थी, कोई कुछ भी कहे उनकी बाते बहुत प्यारी थी, हम है तो आठ पर उन जैसा कोई नहीं बन पाया, पर उनके सामने हम पर ,कोई एक उंगली तक नहीं उठा पाया, दो गंटे घर मै नहीं होती थी तो घर सुनसान बन जाता था, दादी के बिना घर मे किसी का मन ही नहीं लग पाता था, अगर बो कहीं जाती तो दादजी उदास हो जाते थे, आधे घंटे भी नहीं हुए होते उनको गए, और दो घंटे बताते थे, इतने दिन से साथ थे कभी एक दूसरे के बिना नहीं देखा, लड़ते रहते थे पर बिन बोले नहीं देखा, चिल्लाती थी हमें उनके गुस्से की आदत हो गई थी, एब उनकी चुप्पी एक आफत हो गई है, 1 महीन हो गए उनको गए पर लगता है अभी भी हमारे साथ है, भले ही कितनी दूर हो हमसे पर, हमेशा हमारे दिल के पास है। ©Prachi दादी मां